‘तुम याद आओगे लीलाराम’ संग्रह वरिष्ठ कवि-कथाकार प्रकाश मनु की इधर लिखी गई, नई और ताजा कहानियों का संग्रह है। बिल्कुल अलहदा ढंग की कथन-शैली और गहरी मर्म पुकार लिये ये कहानियाँ अपनी अद्भुत किस्सागोई और अनौपचारिक लहजे के कारण अलग पहचान में आती हैं।\nसच तो यह है कि ‘तुम याद आओगे लीलाराम’ संग्रह प्रकाश मनुजी की कथा-यात्रा में एक सार्थक मोड़ की तरह है, और एक साथ कई विशेषताओं के कारण जाना जाएगा। संग्रह की कहानियाँ जिंदगी में इस कदर गहरे धँसकर अपनी बात कहती हैं कि पाठक चकित हुआ सा, खुद को अपनी तकलीफों, समूची वेदनाओं और आत्मिक द्वंद्वों के साथ इनमें पूरी तरह उपस्थित पाता है। लेखक और पाठक का इतना गहन तादात्म्य हिंदी कहानी के मौजूदा परिदृश्य में एक विरल चीज है।\nफिर अपने ही ढंग के विशिष्ट कथाकार प्रकाश मनुजी की ये कहानियाँ अकसर बतकही के-से अंदाज में अपनी बात कहती हैं। इनमें कविता सरीखी मर्म पुकार है तो आत्मकथा सरीखा निजत्व भी। कहानी और जिंदगी के फासलों को पाटनेवाली ये सादा और पुरअसर कहानियाँ अगर प्रेमचंद और मटियानी सरीखे दिग्गजों की याद दिलाएँ, तो कोई हैरत की बात नहीं।\nउम्मीद है, प्रकाश मनु की इन कहानियों की ताजगी पाठकों के दिलों में कभी फीकी न पड़नेवाली एक अलग छाप छोड़ेगी। और एक बार पढ़ने के बाद वे इन्हें कभी भूल नहीं पाएँगे।\n About The Author - प्रकाश मनु सुप्रसिद्ध साहित्यकार, संपादक और बच्चों के प्रिय लेखक।\nमूल नाम : चंद्रप्रकाश विग।\nरचनाएँ : यह जो दिल्ली है, कथा सर्कस, पापा के जाने के बाद (उपन्यास), कहानियों की एक दर्जन से अधिक पुस्तकें। ‘मेरी आत्मकथा : रास्ते और पगडंडियाँ’ (आत्मकथा)। ‘यादों का कारवाँ’ में हिंदी के शीर्ष साहित्यकारों के संस्मरण। बाल साहित्य की विभिन्न विधाओं में डेढ़ सौ से अधिक पुस्तकें।\nहिंदी में बाल साहित्य का पहला व्यवस्थित इतिहास ‘हिंदी बाल साहित्य का इतिहास’ लिखा। इसके अलावा ‘हिंदी बाल कविता का इतिहास’, ‘हिंदी बाल साहित्य के शिखर व्यक्तित्व’, ‘हिंदी बाल साहित्य के निर्माता’ और ‘हिंदी बाल साहित्य : नई चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ पुस्तकें भी। कई पुस्तकों का पंजाबी, सिंधी, मराठी, कन्नड़ समेत अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद।\nपुरस्कार : बाल उपन्यास ‘एक था ठुनठुनिया’ पर साहित्य अकादेमी का पहला बाल साहित्य पुरस्कार। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के ‘बाल साहित्य भारती पुरस्कार’ और हिंदी अकादमी के ‘साहित्यकार सम्मान’ से सम्मानित। कविता-संग्रह ‘छूटता हुआ घर’ पर प्रथम ‘गिरिजाकुमार माथुर स्मृति पुरस्कार’।\n